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सूक्ति प्रकाश

डॉ. ओम प्रकाश विश्वकर्मा

प्रकाशक : भारतीय साहित्य संग्रह प्रकाशित वर्ष : 2020
पृष्ठ :160
मुखपृष्ठ : ई-पुस्तक
पुस्तक क्रमांक : 15420
आईएसबीएन :978-1-61301-658-9

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1000 सूक्तियों का अनुपम संग्रह

कृतज्ञ

मैं उन सभी लोगों का हृदय से आभारी हूँ जिनके स्नेह, मार्गदर्शन से मेरे मनोबल में कमी नहीं आई हमेशा ऊर्जा प्राप्त होती रहती है जिसमें सर्वप्रथम गोपाल बाजपेई जी हैं जिन्होंने हमें ऊर्जावान बनाया। लेखन में पूरा सहयोग दिया एवं जीवन के हर कदम पर सहयोग करते रहते हैं।

जिनका मैं जीवनभर ऋणी रहूँगा, हमारे पितामह स्व. मनिया प्रसाद विश्वकर्मा स्वतन्त्रता संग्राम सेनानी थे उन्होंने पूरे परिवार तथा समाज के विकास हेतु जीवन समर्पित किया।

मैं हदय से आशीर्वाद समर्पित करता हूँ डॉ. आर. के. मेमोरियल पब्लिक स्कूल के प्रबन्धक डॉ. आशुतोष विश्वकर्मा एवं डायरेक्टर ओ३म् श्री विश्वकर्मा जी महाविद्यालय, प्रकाश बिहार, बारनपुर कहिंजरी, कानपुर देहात के अखिलेश कुमार विश्वकर्मा को जिन्होंने विद्वानों के विचार संकलित करने में मेरा सहयोग किया।

ओ३म् श्री विश्वकर्मा जी महाविद्यालय के वरिष्ठ लिपिक दिलीप कुमार विश्वकर्मा, पुस्तकालय अधीक्षक बागीश शर्मा, एवं डॉ. आर. के. मेमोरियल पब्लिक स्कूल प्रकाश विहार, बारनपुर कहिंजरी कानपुर देहात के प्रधानाचार्य श्री दिगम्बर सिंह का एवं डॉ. संजय शर्मा संजयदीप हास्पिटल कल्यानपुर कानपुरनगर तथा मैं विनोद तिवारी जी का हृदय से आभार व्यक्त करता हूँ आपका समय-समय पर मार्गदर्शन मिलता रहता है।

- डॉ. ओ३म् प्रकाश विश्वकर्मा

 

आपका एक-एक सेकेण्ड जीवन का अमूल्य हिस्सा है।

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आलसी व्यक्ति सफलता का सपना न देखे।

  ¤

अथक परिनाम से सफलता चरण चूमती है।

  ¤

दूसरो पर ईर्ष्या करने वाला स्वयं के विकास को रोकता है।

  ¤

विद्यार्थी जीवन में परिश्रम से किया गया अध्ययन पूरे जीवन काम आता है।

  ¤

संतोष से विकास रुकता है ।

 

- डॉ. ओ३म् प्रकाश विश्वकर्मा

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